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भारतीय संविधान में नागरिकता का विवरण (अनुच्छेद 5 से 11)
🔹 अनुच्छेद 5 – संविधान लागू होने के समय नागरिकता
जब संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, उस समय निम्नलिखित व्यक्ति भारत के नागरिक माने गए:
- जो भारत की भूमि पर जन्मे थे।
- जिनके माता-पिता भारत में जन्मे थे।
- जो कम से कम पाँच वर्षों से भारत में निवास कर रहे थे।
🔹 अनुच्छेद 6 – पाकिस्तान से आए लोगों की नागरिकता
- भारत के विभाजन के बाद बहुत से लोग पाकिस्तान से भारत आए।
- यदि कोई व्यक्ति 1948 के पहले भारत आया और सामान्य रूप से निवास कर रहा था, वह भारत का नागरिक माना गया।
- यदि व्यक्ति 1948 के बाद भारत आया, तो उसे सरकार द्वारा जारी किए गए पंजीकरण प्रमाणपत्र के आधार पर नागरिकता दी गई।
🔹 अनुच्छेद 7 – पाकिस्तान गए लोगों की नागरिकता
- जो लोग विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए थे, लेकिन बाद में भारत लौट आए, उन्हें नागरिकता तभी मिलेगी जब उन्होंने भारत में पुनः बसने का प्रमाण प्रस्तुत किया हो।
🔹 अनुच्छेद 8 – विदेशी देशों में भारतीय मूल के लोगों की नागरिकता
- जो भारतीय मूल के लोग भारत के बाहर रहते हैं (जैसे—मॉरीशस, फिजी, यूगांडा आदि), वे भारत के वाणिज्यिक प्रतिनिधि कार्यालय (Embassy) में पंजीकरण के ज़रिए भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं।
🔹 अनुच्छेद 9 – दोहरी नागरिकता का निषेध
- यदि कोई भारतीय नागरिक किसी अन्य देश की नागरिकता स्वेच्छा से ले लेता है, तो उसे भारत की नागरिकता नहीं दी जाएगी।
- भारत में दोहरी नागरिकता मान्य नहीं है।
🔹 अनुच्छेद 10 – अधिकारों का निरंतरन
- एक बार नागरिकता प्राप्त हो जाने के बाद, व्यक्ति को तब तक नागरिक माना जाएगा जब तक वह नागरिकता अधिनियम के तहत उससे वंचित न कर दिया जाए।
🔹 अनुच्छेद 11 – संसद की शक्ति
- संसद को यह अधिकार प्राप्त है कि वह नागरिकता के अधिग्रहण और समाप्ति से संबंधित कानून बना सके।
- इसी अधिकार के तहत “भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955” पारित किया गया।
📜 भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार नागरिकता प्राप्त करने के तरीके
भारत में कोई व्यक्ति निम्नलिखित पाँच तरीकों से नागरिकता प्राप्त कर सकता है:
1. जन्म द्वारा (By Birth):
- अगर कोई व्यक्ति भारत में जन्मा है, तो विशेष शर्तों के तहत वह भारतीय नागरिक हो सकता है (जन्म की तारीख के अनुसार नियम बदलते हैं)।
2. वंशानुगत रूप से (By Descent):
- यदि कोई व्यक्ति भारत के बाहर जन्मा है, लेकिन उसके माता-पिता में से कोई भारतीय नागरिक है, तो वह नागरिकता प्राप्त कर सकता है।
3. पंजीकरण द्वारा (By Registration):
- कुछ विशेष श्रेणियों जैसे कि भारतीय मूल के लोग, भारत में विवाहित विदेशी महिलाएं आदि भारत सरकार से पंजीकरण के माध्यम से नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं।
4. नैसर्गिकरण द्वारा (By Naturalization):
- कोई विदेशी व्यक्ति अगर 12 वर्षों तक भारत में विधिवत निवास करता है, और अन्य शर्तें पूरी करता है, तो वह नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है।
5. भारतीय क्षेत्र को शामिल करने पर (By Incorporation of Territory):
- यदि भारत का कोई क्षेत्र किसी अन्य देश से जोड़ा जाता है (जैसे कि पुडुचेरी या सिक्किम), तो वहाँ के लोग भारत के नागरिक माने जाते हैं।
🚫 नागरिकता समाप्त होने के कारण
निम्न कारणों से भारतीय नागरिकता समाप्त की जा सकती है:
- परित्याग (Renunciation): व्यक्ति स्वयं नागरिकता छोड़ दे।
- निरसन (Termination): व्यक्ति ने किसी अन्य देश की नागरिकता ले ली हो।
- वापसी (Deprivation): भारत सरकार अगर पाती है कि नागरिकता धोखे से प्राप्त की गई है या देशविरोधी गतिविधियों में शामिल है, तो नागरिकता वापस ली जा सकती है।
📌 नागरिक और विदेशी में अंतर
विषय | नागरिक (Citizen) | विदेशी (Foreigner) |
---|---|---|
अधिकार | सभी मौलिक अधिकार मिलते हैं | कुछ सीमित अधिकार |
वोट का अधिकार | हाँ | नहीं |
पासपोर्ट | भारतीय पासपोर्ट मिलता है | नहीं मिलता |
सरकारी नौकरी | योग्य है | अयोग्य |
❓भारत में दोहरी नागरिकता क्यों नहीं?
भारत में राष्ट्र की एकता और सुरक्षा के हित में दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं है। भारत सरकार का मानना है कि एक व्यक्ति को सिर्फ एक ही राष्ट्र के प्रति निष्ठावान होना चाहिए।
🔚 निष्कर्ष
भारतीय संविधान और नागरिकता अधिनियम, 1955 नागरिकता को स्पष्ट रूप से परिभाषित करते हैं। भारतीय नागरिकता प्राप्त करना एक सम्मान की बात मानी जाती है, और यह व्यक्ति को भारत में सभी मौलिक अधिकारों और संवैधानिक सुरक्षा का पात्र बनाता है।